नीलावंती ग्रंथ की सच्ची कहानी | Nilavanti Granth Story In Hindi

 

Nilavanti Granth Ki Sachi Kahani
Nilavanti Granth Ki Sachi Kahani


Nilavanti Granth Ki Sachi Kahani Jankar Aapko Bhi Yakin Nahin Hoga


आज हम आपको एक ऐसे ग्रंथ के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे । यह ग्रंथ बहुत ही ज्यादा रहस्यों से भरा है जिसका नाम निलावंती ग्रंथ है। इसमें दी गई जानकारी को आसानी से नहीं समझा जा सकता, इसे समझने वाला व्यक्ति या तो बुलंदियों पर पहुंचता है या तो मौत के मुंह में जाता है । इस खतरनाक ग्रंथ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है इसे पढ़ना खतरे से भरा है यह बात सरकार भी जानती है । इस ग्रंथ में दी गई जानकारी से महान शक्तियों को प्राप्त किया जा सकता है इसमें पशु-पक्षियों, जानवरों, पेड़ों और भूतों से बात करने की जानकारी दी गई है इसकी मदद से गड़े हुए खजाने ढूंढे जा सकते हैं । इस ग्रंथ के साथ एक शाप जुड़ा हुआ है जो भी इस ग्रंथ को अधूरा पढ़ता है वह पागल हो जाता है जो भी इस ग्रंथ को पूरा पढ़ता है वह मारा जाता है । आईए जानते हैं यह निलावंती ग्रंथ कैसे बना, बहुत साल पहले उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में एक किसान रहता था । किसान के घर एक बेटी ने जन्म लिया उसकी बेटी बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग थी, वह लड़की पक्षीयों और जानवरों के साथ खेला करती थी । जानवर उसके पास बैठ जाते थे यह देखकर उसके पिता हैरान रह जाते थे जैसे-जैसे निलावंती बड़ी हुई वह जानवरों से बात कर सकती थी । वह जैसे कहती पशु-पक्षी, सांप सब वैसा ही करते वह कुदरत की हर चीज से बात कर सकती थी । वह पेड़ों से भी बात कर सकती थी जब भी शाम होती वह जंगल में चली जाती और वहां जानवरों और पेड़ों से बात करती । धीरे-धीरे वह भूतों से भी बात करने लगी थी । निलावंती को कोई दिक्कत ना हो इसलिए उसके पिता जंगल में चले गए और वहां पर झोपड़ा बनाकर रहने लगे । दोनों बहुत खुश थे लेकिन निलावंती हर रात जंगल में जाया करती थी भूतों से बात करती और जंगल के गड्ढे खजानों को पशु-पक्षियों और जानवरों से पता कर लेती, जिस कारण वह काफी धनवान हो गए । वह भूत-प्रेतो  से इतिहास की जानकारी पता कर लेती । एक बार वह जंगल में थी तभी एक व्यापारी सड़क से गुजर रहा था उस व्यापारी की बैलगाड़ी को लुटेरों ने घेर लिया। व्यापारी बहुत ज्यादा डर गया क्योंकि लुटेरे उसे मारना भी चाहते थे वह उनसे बचता हुआ जंगल के बीच पहुंच गया वह लुटेरों से भाग रहा था । वहां पर नीलावंती भी कुछ जानवरों से बात कर रही थी उसे व्यापारी को चोट लगी थी वह निलावंती के पास आकर बेहोश हो गया । निलावंती ने उस व्यापारी की मरहम-पट्टी की फिर उस व्यापारी को होश आया तो उसने निलावंती को देखा और वह मोहित हो गया । निलावंती ने उसकी खूब सेवा की तब उस व्यापारी को नीलावंती से प्यार हो गया । तब व्यापारी ने नीलावंती से कहां मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं तब निलावंती ने एक शर्त रखी मैं हर रात जंगल में जाया करूंगी तुम सवाल नहीं पूछोगे कि मैं जंगल में क्यों जा रही हूं, व्यापारी नीलावंती पर मोहित था उसने शर्त को हां कर दिया । नीलावंती दिन के वक्त उसके साथ रहती और रात को वह जंगल में चली जाती वहां जानवरों से बात करती उनसे अपनी सभी जानकारी पत्तों पर लिखना भी शुरू कर दिया । उसने सोचा यह जानकारी किसी के पास नहीं है कि कैसे जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और भूतों से बात की जाती है वह जानकारी को पत्तों पर लिखती जाती । निलावंती को इस तरह हर रात में जंगल जाते देख कई गांव वालों ने उसका पीछा किया वह जंगल के बीच में जाती और कहीं गायब हो जाती है उस समय गांव से बच्चे गायब हो रहे थे, लुटेरे बच्चों को उठाकर ले जा रहे थे । गांव वालों को यह शक था कि कहीं निलावंती तो नहीं जो बच्चों को गायब कर रही है । निलावंती को जंगल में एक पिशाच मिला उस पिशाच ने नीलावंती को बताया तुम यह सब कर पा रही हो क्योंकि तुम साधारण लड़की नहीं हो । तुम्हारे पास जो शक्तियां हैं वह इंसानों के पास नहीं होती, तुम एक यक्षिणी हो । यह सुनकर नीलावंती के होश उड़ गए, तुम इस शरीर में फस गई हो किसी शाप के कारण लेकिन अंदर से तुम्ह एक यक्षिणी हो । यक्ष-यक्षिणीयो  का एक अलग लोक होता है तुम्हें वहां जाने के लिए मंत्र जाप, साधन और बलि देनी होगी तब जाकर वह रास्ता तुम्हारे लिए खुलेगा । वह हर रात पेड़ के नीचे बैठकर साधना करती और पशु-पक्षियों की बाली दिए जा रही थी । गांव वाले निलावंती तक पहुंच गए उन्होंने देखा कैसे निलावंती पेड़ के नीचे साधना करती है और जानवरों की बलि देती है । वहां कोई बच्चा तो नहीं था लेकिन उन्हें यह शक था कि नीलावंती एक जादूगरनी है वह यहां पर डायन बनने के लिए मंत्रों का जाप कर रही है । उन्होंने निलावंती के पति को भी बताया लेकिन नीलावंती ने शर्त रखी थी कि वह रात को कहां जाती है वह सवाल नहीं करेगा । काफी समय बीत गया अब नीलावंती को पता चल गया था कि कैसे अपनी दुनिया में जाया जा सकता है पास में एक नदी थी और पानी के रास्ते ही उस दुनिया में जाया जा सकता था । उसे पिशाच ने बताया था जब तुम नदी के पास पहुंचोगी तो एक कश्ती आएगी उस कश्ती पर एक ऐसी शक्ति होगी जो चप्पू चला रही होगी, तुम्हें उसे एक ताबीज देना है । वह ताबीज कश्ती के आने से पहले वहां लाश पर बंधा होगा पीछे से तैरती हुई कोई लाश आएगी उसकी कलाई पर वह ताबीज है । जैसे ही वह लाश आएगी उसका ताबीज उतार देना अपने पास रख लेना उस लाश को आगे बहा देना, उसके बाद तुम्हें वह कस्ती नजर आएगी जो तुम्हें साधना के कारण मिली है और जिंदगी में एक बार मिलती है । तुम्हें कश्ती चलाने वाले को ताबीज देनी होगी वह तुम्हें कश्ती पर चढ़ने देगा उसके बाद तुम्हारी दुनिया में ले जाएगा, निलावंती ने साधना के अंत तक की तैयारी कर ली गांव वालों ने ठान लिया बच्चे बहुत गायब हो रहे हैं वह नीलावंती ही होगी जो बच्चों को बलि के लिए ले जाती होगी । उसी शाम में एक बच्चा गायब हुआ गांव वालों ने तैयारी कर ली नीलावंती को पकड़ने की आज निलावंती अपनी दुनिया यक्ष लोक में जाने वाली थी । उसने साधना शुरू कर दी जानवरों को मारना शुरू कर दिया उसका पति भी यह देख रहा था सभी गांव वाले भी उसे देख रहे थे जैसे ही लाश पानी में तैरकर आई तो निलावंती ने उस लाश को पकड़ लिया । लाश की कलाई पर बने ताबीज को उसने खोलने की कोशिश की वह ताबीज खुल नहीं रहा था क्योंकि उसकी गांठ ज्यादा जोर से बंधी हुई थी तो नीलामती मुंह से उसकी गांठ खोलने लगी यह देखकर गांव वालों को लगा यह इस तरह इंसान को खा रही है । निलावंती ने वह ताबीज उतार दिया उसे सामने वह कश्ती नजर आ रही थी, निलावंती उस पर चढ़ने की कोशिश करने वाली थी तभी गांव वालों ने निलावंती को पकड़ लिया । उन्हें लगा यह बच्चों की बलि देती है और इस इंसान को भी इसने मार दिया जबकि वह लाश पीछे से तैरकर आई थी गांव वाले निलावंती को मारना चाहते थे निलावंती वहां से भाग गई । फिर भी वह उस नदी के आस-पास थी ताकि वह नाव पर चढ़ सके तभी उसके पति ने उसे देख लिया अपने पति को देखकर वह चौंक गई क्योंकि वह अपने असली रूप में आ गया था, वह एक पिशाच था जो निलावंती की शक्तियों से मोहित हुआ था नीलावंती से नहीं उसे निलावंती का वह ग्रंथ चाहिए था जो वह हर रोज पत्तों पर लिखा करती थी । जिससे उसे शक्तियां मिले और वह भी गड़े खजाने ढूंढ पाए, नीलावंती वह ग्रंथ देना नहीं नहीं चाहती थी । निलावंती ने ग्रंथ देते हुए कहां मैं शाप देती हूं जो इस ग्रंथ को अधूरा पढ़ेगा वह पागल हो जाएगा, जो इस ग्रंथ को पूरा पड़ेगा वह मर जाएगा, यह कहकर नीलावंती ने वह ग्रंथ पिशाच को दे दिया और वहां से चली गई । कहते हैं पिशाच ने यह ग्रंथ पढ़ा उसकी शक्तियों का इस्तेमाल किया वह इसे ज्यादा नहीं पढ़ पा रहा था वह पागल होने लगा बाद में शिकारियों ने पिशाच को मारकर वह ग्रंथ ले लिया । इस तरह यह ग्रंथ आगे बढ़ता रहा कुछ लोगों का मानना है कि नीलावंती वह ग्रंथ देकर कश्ती पर चढ़ गई थी जबकि कुछ लोगों का मानना है कि वह उस कश्ती पर चढ़ नहीं पाई और अभी भी उन जंगलों में भटकती है । एक मंदिर के पुजारी जिसके पास काफी ज्ञान था उन्होंने पत्तों से किताब में इस ग्रंथ को ढाला और इस किताब को आगे बढ़ाया जिसका नाम निलावंती ग्रंथ था । कहां जाता है स्वामी विवेकानंद जी ने भी इस ग्रंथ को पढ़ने की कोशिश की थी और इसे ट्रांसलेट करने लगे, माना जाता है कि उनकी मृत्यु इसे पढ़ने के कारण हुई थी । कई लोगों का कहना है उनकी मृत्यु निश्चित थी उन्हें पता था कि उनकी मृत्यु कब होने वाली है । यह ग्रंथ आपको कहीं ना कहीं से मिल जाएगा कई जगह इसकी ओरिजिनल कॉपी भी रखी है लेकिन इसे पढ़ना खतरे से खाली नहीं हैं । 


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